बुधवार, जून 08, 2011


5 टिप्‍पणियां:

  1. प्रिय कोमल जी,
    यथायोग्य अभिवादन् ।

    बहुत खूब .... मेरा-तुम्हारा, हम सबका ईश्वर है इसमें ....। तभी तो किसी ने कहा है कि :-
    क्यूं मंदिर जाया जाये, क्यूं मस्जिद जाया जाये,
    आज किसी रोते हुये बच्चे को हंसाया जाये।
    तुम्हारे मन की और मेरे समर्पण की साक्षी यह तस्वीर......।

    -रवि

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