अतीत के रिश्तों से आंचल हटाने दो।
निगाहों से जोड़ लूं रिश्ता जन्म भर का,
दिल की बात तुम मुझको सुनाने दो।
निगाहों से जोड़ लूं रिश्ता जन्म भर का,
आंखों को यह यकीन तो आ जाने दो।
क्या शिकायत करूं मैं जिन्दगी से अब,
अब वक्त को फलसफा यह समझाने दो।
मेरे हमसफर मुझको तुम हमराज बना लो,
और इश्क में एक-दूसरे को आजमाने दो।
भटकते-भटकते अर्सा हुआ, थक गयी मैं,
कि जो मिला है मुझको उसे अपनाने दो।
- कोमल वर्मा कनक
निगाहों से जोड़ लूं रिश्ता जन्म भर का,
जवाब देंहटाएंआंखों को यह यकीन तो आ जाने दो।
.....खुबसूरत अल्फाजों में पिरोये जज़्बात....शानदार|
Apna lo...
जवाब देंहटाएंवाह.बहुत खूब,सुंदर अभिव्यक्ति,,,
जवाब देंहटाएंएक बार हमारे ब्लॉग पुरानीबस्ती पर भी आकर हमें कृतार्थ करें _/\_
http://puraneebastee.blogspot.in/2015/03/pedo-ki-jaat.html