रविवार, अप्रैल 29, 2012

शब्द नहीं


अभिराम है जीवन में अभिव्यक्ति।
न जाने क्यूं फिर भी यह व्यक्त नहीं।

तुम्हारे लिए अनुराग है नैनों में मेरे,
मगर मेरे होठों पर कोई शब्द नहीं।

इस धोखे की संक्षिप्तता से,
दिल मेरा प्रेम से विरक्त नहीं।


पल-प्रतिपल साया सा चाहा तुमको,
रोशनी  की  दिल में  हुकूमत नहीं।

प्यार की डोर से बुने जो रिश्ते मैंने,
क्यूं तेरे दिल में ऐसे जज्बात नहीं।

  • कोमल वर्मा  ‘कनक’

    7 टिप्‍पणियां:

    1. खुबसूरत रचना .. मन की स्पंदित करती हुयीं .....सुन्दर ...

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    2. तुम्हारे लिए अनुराग है नैनों में मेरे,
      मगर मेरे होठों पर कोई शब्द नहीं।

      इस धोखे की संक्षिप्तता से,
      दिल मेरा प्रेम से विरक्त नहीं।

      सुंदर एहसास

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    3. Apke vicharon ke liye dhanyad udaiveer ji age bhi intjar rhega..

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    4. Blog per ane ke liye bhut bhut danyad yashwant Ji.....

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