गुरुवार, अगस्त 04, 2011

मधुर कंठ का अनुबंध


मधुर तनय सा मुझको अंग दिया,
जब ईश्वर ने यौवन संग दिया।
रहूं चहकती मैं हर पल ,जो,
जीवन मेरा प्रेम से रंग दिया।
परवाज करूं तूफानों में भी हरदम,
अम्बर सा जो तुमने आंचल दिया।
श्रृंगार किया, निखरा रूप प्रकृति का,
मधुर कंठ का मुझको अनुबंध दिया।
प्रीत भिगोयी निश्छल जल में मैनें,
अधरों को शब्दों का अपनापन दिया।
अनुराग का अनुबंध सहेज रखे मन,
सभी ने तुझको कोमल सम्मान दिया।

कोमल वर्मा

9 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही कोमल भावनाओं में रची-बसी खूबसूरत रचना के लिए आपको हार्दिक बधाई।

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  2. Komal ji,
    sarthak post bahut badhiya .......
    Ravi Kumar Singh

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  3. बहुत खूब ..अच्छी प्रस्तुति

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  4. dhanvad kumar ji age bhi apki tippani ka intjar rhega.

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  5. babul sir meri kavitay khaniya mere shabd sabhi apke shabdo ki pachaye ka anusharan krte hai apki pratikriya ke liye dhanayad

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  6. adarniya sharad singh ji apki pratikriya mera sadev margdharshan karti hai uttsahvardhan ke liye bhut bhut dhanyav ....

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  7. pratikriya ke liye bhut bhut dhanyav aae bhi sampark bnaye rakhe

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  8. सुन्दर अभियक्ति को कोमल स्वर मिलता हुआ ,मनोहारी सृजन , अपना पक्ष रखने में सफल हैं आप .... शुभकामनायें

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