Komal Verma "kanak"

मंगलवार, दिसंबर 27, 2011


Posted by Kanak at 12/27/2011 03:08:00 am 4 टिप्‍पणियां:
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Kanak
Noida, U.P., India
मेरी जिंदगी का सफर कभी धूप तो कभी छांव के साये के बीच अनवरत जारी है, राह में आयीं तमाम मुश्किलों ने समय के समन्दर में मुझे तैरना भी सिखलाया तो कभी-कभी मिली छोटी सी खुशी मेरी आंखों से क्या लुढ़की कि यह बूंद ही समूचा समन्दर हो चली, और तिस पर मेरी जिद् मुझे नये सफर का हौसला देती रही। जब भी थोड़ा सुस्ताने बैठी तो मेरी तन्हाई की आहों के बीच, मेरे अपनों की यादें अनवरत चलने का संबंल देने से नहीं चूकी, मेरे कदमों की रफ्तार मुझे यह यकीन भी दिलाती है? भविष्य में मेरी हथेली से कुछ छूटेगा, क्या छूटेगा कह नहीं सकती, बहुत कुछ मिलेगा यह यकीन है। ... सो लिखती रहती हूं ... कभी भीड़ में तो कभी तन्हा ....।
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